सं.स्त्री.
सं.झल्लरी
1.पूजा के समय बजाया जाने वाला घड़ियाल।
- उदा.--1..अंबर जाग्या देअी-देवता, धरती जाग्यौ वासग नाग, झालर तौ वाजी राजा रांम की।--लो.गी.
- उदा.--2..अह माथै रांग आभ लग ऊंचौ, नव खंडे जस झालर नाद। रोप्या भला रायपुर रांणा, पड़ै न सासणतणा प्रसाद।--दुरसौ आढ़ौ
- उदा.--3..तिमर रौ जोर हटण लागौ, दीपक रौ पिण तेज घटण लागौ, चिड़ियां चहकण लागी, झालरां ठहकण लागी, इण भांत पघड़ौ हूण लागौ जठै प्रेम प्रीत रौ झगड़ौ हूण लागौ।--र.हमीर
2.एक प्रकार का वाद्य विशेष।
- उदा.--छब धरातइ, चमर वींजातइ, नफेरी, सरणाइ, बरगां, ढोल, झालर, डुंडि, दमामां, दड़दड़ी, म्रिदंग, नीसांण प्रमुख वाजित्र वाजइ, तेणइ आकास गाजइ।--व.स.
4.जल-पात्र विशेष।
- उदा.--जणां एक खासा गुलांम सुल्तांन अरब रौ झालर पांणी री लेय बादसाह रै पसवाड़ै पहोंचियौ।--नी.प्र.
रू.भे.
झालरी, झालिर। मह.--झालड़।
5.देखो 'झालरी' (1) (मह., रू.भे.)
- उदा.--कंचण खंभ मंडति कीन वरणण छबिकरां, झळहळ क्रतपूर झळूस मुगता झालरां। अद्भूत बितांनां आरंभ मोल अपंपरा, जोड़ै डमर डेरां जोग भाद्रव जळधरां।--बां.दा.
6.देखो 'झालरौ' (मह., रू.भे.)
7.देखो 'झाल' (मह., रू.भे.) वि.--मूर्ख, पागल।