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ठिकांणौ  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.स्था
स्थान, जगह।
  • उदा.--1..ठहिया भूखण सरब ठिकांणै, अहि कांकळि पुहपां अहिनांणै।--सू.प्र.
  • उदा.--2..सारी धरती प्रदिक्षणा दी। राजा नु सारा ठिकांणा बताया छै।--चौबोली
  • मुहावरा--1.ठिकांणै आणौ--उलझन में पड़े हुए का यथार्थता पर आना, वासतविक बात पर आना।
  • मुहावरा--2.ठिकांणै नी रै'णौ--बुद्धि-विक्षिप्ति होना, अस्थिर रहना, अपने स्थान पर न रहना।
  • मुहावरा--3.ठिकांणै पहुँचाणौ, ठिकांणै मेलणौ--उपयुक्त स्थान पर भेजना।
2.निवासस्थान, ठहरने की जगह, पता, ठिकाना।
  • उदा.--करिजै तें कल्यांण इसौ मन में मजि आंणै। ठांम चुकावै ठिक्क ठहरसी किसै ठिकांणै।--ध.व.ग्रं.
  • मुहावरा--1.ठिकांणा री वात--समझदारी की बात, पते की बात.
  • मुहावरा--2.ठिकांणै नी रै'णौ--स्थान पर नहीं टिकना।
  • मुहावरा--3.ठिकांणै री वात--देखो 'ठिकांणा री वात'।
  • मुहावरा--4.ठिकांणै लागणौ--उचित स्थान पर पहुँचना, खर्च हो जाना।
  • मुहावरा--5.ठिकांणै लगाणौ--उपयुक्त स्थान पर पहुँचाना, सुरक्षित स्थान पर ले जाना, खर्च कर देना।
  • मुहावरा--6.ठिकांणौ जोणौ, ठिकांणौ ढूंढ़णौ--निवास-स्थान की तलाश करना, सम्बन्ध के लिए उपयुक्त लड़काया लड़की ढूंढ़ना।
  • मुहावरा--7.ठिकांणौ लागणौ--खबर लगना, पता लगना।
3.प्रबंध, इन्तजाम, प्राप्ति का ढंग।
  • मुहावरा--1.ठिकांणै लगाणौ--कम धंधे पर लगाना।
  • मुहावरा--2.ठिकांणौ करणौ--शादी विवाह के लिए सम्बन्ध निश्चित करना।
4.सहारा, आश्रय, अवलंब।
  • मुहावरा--1.ठिकांणै लगाणौ--काम धंधे पर लगाना, आश्रय दिलाना।
  • मुहावरा--2.ठिकांणौ करणौ--प्राप्ति का स्थान तय करना, नौकरी पर लगना, आश्रय लेना.
  • मुहावरा--3.ठिकांणौ जोणौ, ठिकांणौ ढूंढ़णौ--आश्रय ढूंढ़ना, नौकरी की तलाश करना।
5.भरोसा, यथार्थता, प्रमाण.
6.जिसकी कोई सीमा ही न हो, पारावार। ज्यूं--इण दरियाव रौ कांई ठिकांणौ कोनी।
7.अंत, हद।
  • मुहावरा--1.ठिकांणै पहुँचाणौ, ठिकांणै मेलणौ, ठिकांणै लगाणौ--काम तमाम कर देना, समाप्त कर देना.
  • मुहावरा--2.ठिकांणै लगणौ--मृत्यु को प्राप्त होना, धाम सिधाना।
8.कुल, वंश, घराना।
  • मुहावरा--1.ठिकांणा रौ टाबर--अच्छे कुल का व्यक्ति, कुलीन व्यक्ति.
  • मुहावरा--2.ठिकांणौ जोणौ, ठिकांणौ ढूंढ़णौ--लड़के या लड़की के सम्बन्ध के लिए अच्छा कुल ढूंढ़ना।
  • मुहावरा--3.ठिकांणौ लजाणौ--कुल को लज्जित करना, मर्यादा छोड़ना। मि.--घर (3)
9.किसी राज्य का वह भू-भाग जो किसी सामन्त या जागीरदार के अधीन हो।
  • उदा.--आउवा वाळा बाग में बावळियै वाळौ घेरौ रे। माथे फोजां आई नै अंगरेज भेळौ रे क भायां सांभळजौ। हां रे भायां सांभळजौ रे ठाकर नै ठिकांणौ छूटे रे क भायां सांभळजौ।--लो.गी.
  • मुहावरा--1.ठाकर सुं ठिकांणौ वाजणौ--यदि जागीरदार समझदार और बुद्धिमान हो तो हल्की जागीर की भी कद्र हो जाती है.
  • मुहावरा--2.ठिकांणै ठाकर पूजीजणौ, ठिकांणै ठाकर वाजणौ--मनुष्य की कद्र उसके स्थान पर ही होती है। जागीर या वैभव के कारण ही व्यक्ति की कद्र होती है.
  • मुहावरा--3.ठिकांणै रौ ठाकर--धन के पीछे अयोग्य की भी कद्र होती है। बहुत बड़ी जागीर का अयोग्य स्वामी भी ठाकुर कहलाता है। सम्पन्न घर का व्यक्ति।
  • मुहावरा--4.ठिकांणौ अवेरणौ--किसी जागीर का बुद्धिमानी से संचालन करना, किसी अयोग्य व्यक्ति का अपने वैभव को समाप्त कर देना.
  • मुहावरा--5.ठिकांणौ केवटणौ--किसी बुद्धिमान व्यक्ति का अपने वैभव या जागीर का बुद्धिमानी के साथ संचालन करना।
  • मुहावरा--6.ठिकांणौ लजाणौ--जागीर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाना, जागीर को कलंकित करना, वंश में कलंक लगाना।
रू.भे.
ठकांणौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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