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ठोकर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.पैर में किसी कड़ी वस्तु के टकराने से लगने वाली चोट। क्रि.प्र.--आणी, खाणी, लागणी।
  • मुहावरा--1.ठोकर उठाणी--दु:ख सहन करना, हानि उठाना।
  • मुहावरा--2.ठोकर खाणी--रास्ते में पड़ी हुई किसी वस्तु या रुकावट के कारण पैर में चोट लगना, धोखा खाना, हानि सहन करना, नुकसान उठाना.
  • मुहावरा--3.ठोकर लगणी (लागणी)--देखो 'ठोकर खाणी'।
  • मुहावरा--4.ठोंकरां खांणी--प्रयोजन-सिद्धि या जीविका आदि के लिए चारों ओर घूमना, अनुभव प्राप्त करना.
  • मुहावरा--5.ठोकरां खातौ फिरणौ--इधर-उधर मारा-मारा फिरना, हीन दशा में भटकना, दुर्दशाग्रस्त होकर घूमना, कष्ट सहना, दुर्गति सहना।
2.रास्ते में पड़ने वाला उभरा हुआ स्थान, उभरा पत्थर या कंकड़ जिसमें पैर रुक कर चोट खाता है.
3.किसी गाड़ी आदि को रोकने के लिए पहियों के पास लगाया जाने वाला पत्थर या उपकरण। क्रि.प्र.--लगाणी।
4.वह तेज प्रहार जो पैर के अगले भाग अथवा जूते के अगले भाग से मारा जाय, पैर के अगले भाग से लगाया हुआ जोर का धक्का। क्रि.प्र.--दैणी, मारणी, लागणी।
  • मुहावरा--1.ठोकर जड़णी--देखो 'ठोकर दैणी'।
  • मुहावरा--2.ठोकर दैणी--पंजे से प्रहार करना, तिरस्कार करना, अवज्ञा करना, ठुकराना.
  • मुहावरा--3.ठोकर मारणी--देखो 'ठोकर दैणी'।
  • मुहावरा--4.ठोकर लगाणी--देखो 'ठोकर दैणी'
  • मुहावरा--5.ठोकरां में पड़ियौ रै'णौ--अपमानित होकर रहना, बेइज्जत होकर दिन काटना।
4.तेज प्रहार, चोट, धक्का.
6.जूते का अग्र भाग.
7.बैल द्वारा खींचा जाने वाला छोटा ठेला जिसमें एक सवारी बैठती हो.
8.कुश्ती का विशेष पेच.
9.आभूषण विशेष (शेखावाटी)
रू.भे.
ठौहर।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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