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डोर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.रस्सी, रज्जु।
  • उदा.--1..तालरियै तंबूड़ा तांणियां, डूंगरियै रळकाई रेसम डोर। धण गोरी ए अंबा लागणियै नैणां रौ ढ़ोलौ मिणियार।--लो.गी.
  • उदा.--2..रतन कुऔ मुख सांकड़ौ, लांबी लागै डोर। सींचतड़ा मैंदी गई, गयौ कमर रौ जोर।--लो.गी.
2.घोड़े की लगाम, बाग।
  • उदा.--घोड़ा री पूठ तखतां ऊपर बैठा छै। आंख्या आडी कूल्है छै। सकळायत रा पटा, रूपै री भंवर कड़ी, रेसम री डोर।--रा.सा.सं.
  • मुहावरा--1.डोर खांचणी--स्मरण करके दूर से अपने पास बुलाना, पास बुलाने के लिये स्मरण करना.
  • मुहावरा--2.डोर ढीली छोडणी--डोरी शिथिल करना, अधिकार या शासन से मुक्त करना, निगरानी या चौकसी कम करना, ध्यान न देना.
  • मुहावरा--3.डोर में राखणौ--अधिकार में रखना, शासन में रखना, नियंत्रण में रखना।
3.पतंग की डोरी।
  • उदा.--1..जमडाडां जड़ै छै, ग्रीजण्यां आंतां ले उडै छै। जिकै गुडी री सी डोर असमांन नै चढ़ै छै।--पनां वीरमदे री वात
  • उदा.--2..राजन गुडी उडावता, लंबी देता डोर। गुड घर राजन नहीं, चले न मेरौ जोर, ओ दिल ज्यांन म्हांनै एकबर दरस दिखाऔ मेरी जांन।--लो.गी.
4.देखो 'डोरी' (अल्पा., रू.भे.)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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