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डौड  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.अध्यर्द्ध, प्रा.डिड्‌यढ़
एक और आधार, डेढ़। वि.वि.--दहाई की संख्या में बीस तथा दहाई से ऊपर की संख्याएँ जैसे सौ, हजार, लाख आदि के पहले जब इस शब्द का प्रयोग होता है तब उस संख्या को इकाई मान कर उसके आधे को जोड़ने का अभिप्राय होता है, जैसे--डौड वीसी=बीस और उसका आधा दस अर्थात्‌ 30, डौड सौ=सौ और उसका आधा पचास अर्थात्‌ 150, डौड हजार= हजार और उसका आधा पांच सौ अर्थात्‌ 1500।
  • मुहावरा--1.डौड चावळ री खीचड़ी न्यारी पकाणी--भिन्न मत प्रकट करना, अपनी राय अलग रखना.
  • मुहावरा--2.डौड चावळ री खीचड़ी पकाणी--अपने विचारों को सब से अलग रखना, अपनी अकेली राय सब से भिन्न रखना.
  • मुहावरा--3.डौड वैत रौ काळजौ होणौ--साहसी होना.
  • मुहावरा--4.डौड कसणी, डौड मारणी--व्यंग कसना, ताना मारना, अपनी बड़ाई करना।
रू.भे.
डैड, डैढ़, डौढ़।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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