HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

ढेढ़     (स्त्रीलिंग--ढेढ़ण, ढेढ़णी)  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
1.चमार
  • उदा.--रंगरेज छींपां नै लोहारौ रे, माळी दरजी नै सुथारौ। भट भाट भोपां नै भरड़ा रे, गुरुवा ढेढ़ां रा गुरड़ा।--जयवांणी
2.कौआ। वि.--मूर्ख, नासमझ।
  • उदा.--काग पढ़ायौ पींजरै, पढ़ग्यौ च्यारूं वेद। समझायौ समझै नहीं, रह्यौ ढेढ़-रौ-ढेढ़।--सगरांमदास
रू.भे.
ढेढ़स।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची