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ताई  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.बड़ी माता, पिता के बड़े भाई की पत्नी।
  • उदा.--मारण मारण समझे मूरख, तारण लखै न ताई नै। रात दिन हिंसा सूं राजी, कर दे मात कसाई नै।--ऊ.का.
2.कपड़ा बुनने वाली एक जाति (नळदवदंती रास, व.स.)
3.घोड़े की एक जाति (व.स.)
4.(सं.आततायी) दुष्ट, असुर।
  • उदा.--सेहाई संतां सेवगां ताई देणा तापरां। औनाड़ा राघौ भू अखै, पांणां धाड़ा आपरां।--र.ज.प्र.
5.शत्रु, दुश्मन।
  • उदा.--1..ताइयां खांति तरवारियां भांत तह। लड़ण कजि दियंतौ सुपह सुजि वीत लह।--हा.झा.
  • उदा.--2..चवै अेम जैमाल चीतौड़ मत चळवळै, हेड़ दूं अरीदाळ न दूं हाथै। ताहरै कमळ पग चढ़ै नह ताइयां, मांहरै कमळ जां खवां माथै।--राठौड़ जैमल वीरमदेवोत रौ गीत
6.देखो 'तांई' (रू.भे.)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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