सं.स्त्री.
1.ताकने की क्रिया।
2.टकटकी, स्थिर दृष्टि।
- मुहावरा--ताक बांधणी--टकटकी बांधना; स्थिर दृष्टि से देखना।
3.अवसर की प्रतीक्षा, मौके की टोह में रहने का काम, घात।
- उदा.--माल मुलक हैंगैं घणा, छत्र छांह मन छाक। के मार्या के मारसी; काळ करत है ताक।--ह.पु.वा.
- मुहावरा--1.ताक में रै'णौ--मौके की टोह में रहना, घात लगाना, अवसर की प्रतीक्षा में रहना.
- मुहावरा--2.ताक राखणी--देखो 'ताक में रै'णौ'.
- मुहावरा--3.ताक लगाणी--देखो 'ताक में रै'णौ'।
4.खोज, तलाश।
- मुहावरा--ताक राखणी--खोज में रहना, तलाश में रहना।
5.उपाय, तरकीब।
- उदा.--साथ नूं पूछियौ 'क्यूं ठाकुरै! अठा थी सूरजमल खींवावत नूं किण ताक थी मारियौ जाय?'--नैणसी
6.देखो 'तासळी' (रू.भे.) सं.पु.(अ.)
7.दीवार में रखा जाने वाला खाली स्थान जो वस्तु आदि रखने के लिए काम आता है, आला, ताख।
- उदा.--अनूप ताक गोख स्री विचित्र चित्र सूं अटा। घणूं उतंग अंग जांणि स्रिंग मेघ ची घटा।--रा.रू.
- मुहावरा--1.ताक माथै मेलणौ--किसी वस्तु को उपयोग में न लाना, प्रयोग न करना.
- मुहावरा--2.ताक में मेलणौ--वस्तु को पृथक् रखना, उपयोग में न लाना।