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तारक  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.नक्षत्र तारा।
  • उदा.--गैण नै मिळिया भोळा नैण, जोवतां तारक जोड़्‌या हाथ। छुडावै कोई साथण मूंन, भलौ है उण साथण रौ साथ।--सांझ
2.आंख की पुतली.
3.इन्द्र का एक शत्रु जिसे कार्तिकेय ने मारा था, तारकासुर।
  • उदा.--मनख्या मत विलळाय गाय प्रभुजी पख तूटल, रांमण हणियौ रांम गूह खाधौ तारक खळ।--र.ज.प्र.
4.चांदी, रौप्य।
  • उदा.--धरे तारक द्रव्य धारां, बंदे तोरण जेर वारां।--सू.प्र.
5.वह जो पार उतारे, तारने वाला।
  • उदा.--क्रतू करुणामय धू करुतार, भणै भव भाजन भू भरतार। उधारक धारक लोक असेस, सुधारक तारक सेस विसेस।--ऊ.का.
रू.भे.
तारंग।
यौ.
तारक तीरथ।
अल्पा.
तारकौ।
6.एक जाति विशेष जिसके व्यक्ति मृतक व्यक्ति के क्रियाक्रर्म-संस्कार तथा तर्पण आदि करते हैं और मृत्यु कृत्यों का दान भी ग्रहण करते हैं। मि.--कारट (1)
7.ईश्वर.
8.कर्णधार, मल्लाह.
9.प्रत्येक चरण में चार सगण और एक गुरु सहित तेरह वर्ण का वर्णिक छंद विशेष।
10.(सं.तार्क्ष्य:) गरुड (नां.मा.)
11.घोड़ा (अ.मा.)
रू.भे.
तारकी, तारख, तारग, तारच्छ, ताराक्ष, तारिक, तारिक्ख, तारखि।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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