सं.पु.
सं.ताप
1.वह गर्मी या उष्णता जो किसी वस्तु को तपाने या पकाने के लिए दी जाय। ताप, आंच।
- मुहावरा--ताव आणौ--आवश्यकतानुसार किसी वस्तु का गर्मी प्राप्त कर गर्म होना।
2.गुस्सा, क्रोध।
- मुहावरा--ताव दैणौ--आंच पहुँचाना, गर्म करना।
3.अहंकार का आवेग।
- मुहावरा--1.ताव दिखाणौ--अहंकार मिश्रित क्रोध दिखाना.
- मुहावरा--2.मूंछाँ पर ताव दैणौ--सफलता आदि के अहंकार में मूंछें ऐंठना।
4.जोश, उत्साह।
- उदा.--तीडै इह विध जुध खगां ताव, रजवट पाधोरे पंच राव।--सू.प्र.
5.ज्वर, बुखार।
- उदा.--लहरी सायर संदियां , वूठउ वाव। बीछुड़ियां साजण मिळइ, वळि किउं ताढ़उ ताव।--ढो.मा.
- मुहावरा--ताव हाथी रा हाड भांगै--ज्वर हाथी जैसे विशालकाय प्राणी को भी शिथिल बना देता है। ज्वर से कमजोरी आना अवश्यम्भावी है।
6.कष्ट, पीड़ा, संताप।
- उदा.--रटै तौ नांम व्रंदावन राव। तिकां पिंड कोय न लागै ताव।--ह.र.
7.तेज, ओज, पराक्रम।
- उदा.--थांरौ तौ मुनीसर! तेज अपार। सूरज ही संकै थांरा ताव सूं।--गी.रां.
8.सूर्य का ताप, तड़का, धूप।
- उदा.--देख तपंती ताव सूं, मुरधर ब्रख रै भांण। हियौ हिमाचळ अूझळ्यौ, बह चाल्यौ बरफांण।--लू
9.जोर, दबाव।
- उदा.--दोय तीन बार हेला कर नीसरणी नांखी तद मांहिलां इसौ ताव दियौ सो मांणस पांच दस मराय पाछा आया।--मारवाड़ रा अमरावां री वारता
10.प्रकाश, चमक।
- उदा.--ताव दांन के जलूस अस्ट पदी का भाव। अस्मूं की आब जै महताबूं का ताव।--सू.प्र.
11.शीघ्रता एवं तेजी करने का भाव.
12.भय, आतंक।
- उदा.--तरै न लागै ताव, ओट तुहाळी आवियां। नदी हुई तूं नाव, भवसागर, भागीरथी।--बां.दा.
13.गति, चाल।
- उदा.--कछ धर तणौ कमेत ताव खग राज सरोतर।--पनां वीरमदे री वात
क्रि.प्र.--आणौ, उतरणौ, चढ़णौ।