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तिलक  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
मस्तक पर केसर चंदन या गोरोचन आदि का लगाया जाने वाला चिह्न जो किसी साम्प्रदायिक संकेत या शोभा के अभिप्राय से मांगलिक अवसरों पर लगाया जाता है, टीका।
  • उदा.--बादळ ज्यूं सुर धनुख बिण, तिलक बिना दुजपूत। बनौ न सोभै मौड़ बिन, घाव बिनां रजपूत।--बां.दा.
  • मुहावरा--1.तिलक उघड़णौ--तिलक का प्रकट होना। किसी के कपट का धीरे-धीरे पता चलना.
  • मुहावरा--2.तिलक काडणौ (लागणौ)--नुकसान पहुँचाना, क्षति पहुँचाना।
2.राज्याभिषेक, राजसिंहासन पर प्रतिष्ठा। क्रि.प्र.--करणौ।
3.विवाह सम्बन्ध स्थिर करने पर कन्या पक्ष की ओर से वर के माथे पर अक्षत कुंकुंम का तिलक कर उसके हाथ में कुछ द्रव्य देने की एक रीति.
4.विवाह सम्बन्ध स्थिर करने पर कन्या पक्ष की ओर से वर को दिया जाने वाला द्रव्य। क्रि.प्र.--चढ़ाणौ, देणौ। (मि.'टीकौ')
5.माथे पर पहिनने का स्त्रियों का एक आभूषण।
  • उदा.--मुख सिख संधि तिलक रतन मैं मंडित, गयौ जु हूंतौ पूठि गळि। आयै क्रिसन मांग मग आयौ, भाग कि जांणै भाळियळि।--वेलि.
6.श्रेष्ठ व्यक्ति.
7.एक जाति का एक घोड़ा.
8.संगीत में धु्रवक का एक भेद जिसमें एक-एक चरण पच्चीस अक्षरों का होता है.
9.दो सगण का एक वृत्त विशेष.(तु.तिरलीक)
10.मुस्लिम रंगरेज, तेली जाति की स्त्रियों द्वारा सूथन के ऊपर पहिना जाने वाला ढीला लहँगा।
रू.भे.
तलक, तिलउ, तिलक्क, तिलिक, तिलौ, तिल्लक, तीलक।
अल्पा.
तिलकड़ौ।
(मि.'टीकौ')


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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