HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

तीतर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.तित्तर
एक प्रसिद्ध पक्षी जो समस्त एशिया और यूरोप में पाया जाता है। यह काला और मटमैला दो रंग का होता है। वि.वि.--यह जिस क्षेत्र में रहता है वहाँ की भूमि से इसका रंग मिलता-जुलता होता है। मांस के लिए कई लोग इसका शिकार करते हैं। कुछ लोगों द्वारा पाला भी जाता है और परस्पर तीतरों की लड़ाई भी कराते हैं।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची