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तोड़  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
1.तोड़ने की क्रिया या भाव। क्रि.प्र.--करणौ, कराणौ, होणौ।
यौ.
तोड़जोड़, तोड़मरोड़।
2.नदी, बांध या तालाब आदि का जल-प्रवाह के कारण टूटा हुआ तट या स्थान। क्रि.प्र.--करणौ, घालणौ।
3.किले की दीवार या प्राचीर का वह भाग जो तोपों की गोलीबारी से टूट गया हो।
4.कुश्ती का एक पेंच जो दूसरे पेंच को रद्द कर देता है.
5.रोग आदि से शरीर के क्षीण होने का भाव.
6.वजन आदि उठाने के कारण होने वाली कमर अथवा वक्षस्थल की क्षति.
7.चौसर के खेल में एक खिलाड़ी द्वारा प्रथम बार अन्य खिलाड़ी की सारी को मारने की क्रिया या भाव। क्रि.प्र.--करणौ, कराणौ, होणौ।
8.ढोलक और मजीरों की ताल में गीत, भजन आदि के पद की समाप्ति पर किया जाने वाला विशेष परिवर्तन। क्रि.प्र.--दैणौ।
9.शराब बनाते समय भपके से पहले पहल निकाला हुआ शराब। इसके बाद निकाला हुआ शराब अपेक्षाकृत कम नशीला होता है।
  • उदा.--तठा उपरायंत दारू रा घड़ा मगायजै छै, सूं दारू किण भांत रौ छै?....असवारां रौ पियौ प्यादौ छिकै, राजा पीवै परजा छिकै, इण भांत रौ पहलड़ौ तोड़ै रौ धातौ।--रा.सा.सं.
10.किसी कुमारी स्त्री के साथ प्रथम समागम करने की क्रिया।
  • मुहावरा--तोड़ करणौ--कुमारी का कौमार्य खंडित करना।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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