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थिग
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.स्थगित
1.ढेर, समूह, राशि,
2.नृत्य का बोल।
उदा.--
थिग
मिग थिग थिग थेइ, थैइ थिग मिग। थेइ थेइ तत नक ताथेई।--ध.व.ग्रं.
3.लड़खड़ाने की क्रिया।
उदा.--
1..तरुणी बरुणी में नींझर झर ताकी।
थिग
थिग भ्रगनैणी पिकबैणी थाकी। पिंजर पासळियां भीतर पैठोड़ा। बोलै बोबाता डोबा बैठोड़ा।--ऊ.का.
उदा.--
2..मां बारा बाखोटिया,
थिगथिग
पकड़ै चाल। लूआं नैडी आवतां, खिणै'क राख्या ख्याल।--लू
1.पास, ढिग।
क्रि.वि.--
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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