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दमड़ी
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.द्रविण=धन
1.पैसे का आठवां भाग।
2.पैसा, पाई।
उदा.--
पल पल आतां री चमड़ी नित पीनी। दमड़ी खरची री जातां नह दीनी।--ऊ.का.
मुहावरा--
1.दमड़ी रा छांणा धुआंधार मचाई--कम पैसा और अधिक आडम्बर,
मुहावरा--
2.दमड़ी री डोकरी नै टकौ सिर मुंडाई रौ--कम मूल्य की वस्तु पर अधिक व्यय,
मुहावरा--
3.
दमड़ी
री हांडी ही वजा'र लेवणी--अल्प मूल्य की वस्तु को भी देख-भाल कर लेना चाहिए। मह.--दमड़ौ।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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