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दयतां-दम, दयतां-दब
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.यौ.
सं.दैत्य+ दम्
दैत्यों का दमन करने वाला, भगवान्।
उदा.--
1..जंघा पवित्र करिस हुं जटधर, न्रत करतौ आगळ नाटेसर। इंद्रियां पवित्र करिस अप्रंप्रम, दमै गिनांन तूझ
दयतां-दम
।--ह.र.
उदा.--
2..काय निपाप करिस इम केसव, दंडवत करै तूझ
दयतां-दव
। रोम रोम तो नाम रहाविस, इम करतौ हरि-चरणां आविस।--ह.र.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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