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दरी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.
1.गुफा, खोह, कंदरा।
  • उदा.--सिला तखत केसर चमर, अनड़ दरी आवास। प्रगट लियां म्रगराज पण, सादूळा स्यावास।--बां.दा.
2.वह कोठरी या घर जो जमीन के नीचे बना हो, तहखाना, तलगृह,
3.मकान के अन्दर दीवार के समानान्तर लगा हुआ वह लम्बोतरा पत्थर जिस पर सामान आदि रखा जाता है। (सं.स्तर)
4.मोटे सूत का बना हुआ मोटा बिछौना।
रू.भे.
दरि।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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