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दाफड़  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
देश.
शरीर पर थोड़े से घेरे में पड़ी हुई सूजन जो खटमल, मच्छर आदि के काटने या खुजलाने के कारण चकती की तरह बन जाती है, चटखर, ददोरा।
  • उदा.--उतराद्यौ खटमल आवौ दिखणाद्यौ, मचायौ खटमल सोयबा दै। रांणीजी रा हाकम सोयबा दै। नाथूरांमजी रै खटमल लड़ियौ, वांकी लूंठी के दाफड़ पड़ियौ रे, खटमल सोयबा दै।--लो.गी.
रू.भे.
दापड़।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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