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दुंदुभ, दुंदुभि, दुंदुभी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.दुंदुभि
1.नगाड़ा, धौंसा।
  • उदा.--कुमार प्रिथ्वीराज जीत रा दुंदुभि घुराय खेत सुधाय कन्ह--कन्ह गोइंदराज, प्रसंगराज, पहाड़राज, लंगरीराज प्रमुख घायलां नूं निजांन चढ़ाय गिरिनार मुकांम दीधौ।--वं.भा.
2.एक राक्षस का नाम जिसे बालि ने मारा था। वि.वि.--बालि ने इस राक्षस को मार कर ऋष्यमूक पर्वत पर फेंकाथा। इस पर मतंग ऋषि ने शाप दिया थाजिसके कारण बालि उस पर्वत के पास नहीं जा सकता था। बालि से वैर हो जाने पर उसके अनुज सुग्रीव ने इसी पर्वत पर निवास किया था।
रू.भे.
दंदभ, दंदव, दंधभ, दुंदभ, दुंदभि, दुंदभी, दुंदव, दुंदुभ, दुंदुभि, दुंदुहि, दूंधभी, दूंधबी दुधुभि, दुधुभी। मह.--दुंद।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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