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दुरमत, दुरमति, दुरमती, दुरमत्ति, दुरमत्ती  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.दुर्मति
खोटी बुद्धि, बुरी बुद्धि, नासमझी।
  • उदा.--भेद लिया जख दुख सुख त्याग्या, रांम नांम रंग भीना। घट घट में साहब सत जांण्या, दुरमत दूरी कीना।--स्री सुखरांमजी महाराज
  • उदा.--2..जाळंधर 'अगजीत' रै, पुत्र 'अभौ' अवतार। दुरमत व्यापै दुरजणां, सयणां सुमत अपार।--रा.रू.
  • उदा.--3..जन हरिदास या जीव कूं, अटकि अटकि समझाय। दूजि दुरमति दुरि करि, हरि चरणां चित लाय।--ह.पु.वा.
  • उदा.--1..ज्यूं ज्यूं लालच खार जळ, सेवै दुरमत संग। बांका अत त्यूं त्यूं बधै, त्रसना तणी तरंग।--बां.दा.
  • उदा.--2..दीपियौ एम मंडळ दिली, देख भ्रमै दुरमत्ति नूं। तन दहै अग्नि ज्वाळा तणा ओझाळा असपत्ति नूं।--रा.रू.
वि.
जिसकी बुद्धि ठीक न हो, दुर्बुद्धि, कम अक्ल, दुष्ट, खल।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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