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दूध  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.दुग्ध
1.स्तनपायी जीवों की मादा के स्तनों में रहने वाला सफेद रंग का तरल पदार्थ जिससे उनके बच्चों का बहुत दिनों तक पोषण होता है (डिं.को.) पर्याय.--अम्रित, उत्तमरस, ऊधस, खीर, गोरस, जळमिंत, जीवनीय, पय, पुंसर, मधु, सतन, सर, सवादक, ससात, सोमिज।
  • मुहावरा--1.दूध अमूजणौ--स्तन पर किसी आघात के कारण दुग्ध प्रवाह का रुक जाना जिससे स्तन में दर्द होता है.
  • मुहावरा--2.दूध उतरणौ--(गाय, भैंस आदि के) दूध कम होना.
  • मुहावरा--3.दूध चढ़णी--गाय, भैंस आदि के दूध में वृद्धि होना। देखो 'दूध पड़णी'.
  • मुहावरा--4.दूध चढ़णौ--गाय, भैंस आदि के दूध में वृद्धि हो जाना.
  • मुहावरा--5.दूध चढ़ाणौ--गाय, भैंस आदि को उनका अभीष्ट खाद्य पदार्थ नहीं मिलने के कारण अथवा अपने बच्चे के मोह के कारण दूध स्तानों में ऊपर खींच लेना.
  • मुहावरा--6.दूध पड़णी--गाय, भैंस आदि का गर्भवती होना.
  • मुहावरा--7.दूध पा'णौ (पावणौ)--कन्या के उत्पन्न होने पर उसके विवाहादि के भावी संकट की आशंका के कारण विष देकर मार डालना.
  • मुहावरा--8.दूध भिळणी--देखो 'दूध पड़णी'.
  • मुहावरा--9.दूध रौ ऊफांण--शीघ्र शांत हो जाने वाला क्रोध या मनोवेग, क्षणिक आवेग.
  • मुहावरा--10.दूध रौ दूध नै पांणी रौ पांणी करणौ--ऐसा न्याय करना जिसमें किसी भी पक्ष के साथ तनिक भी अन्याय न हो। बिल्कुल ठीक न्याय करना।
  • मुहावरा--11.दूध रौ बळयौ छाछ नै फूंक दै--दूध का जला छाछ को फूंक लगाता है, एक बार धोखा खाने पर मनुष्य छोटी सी बात पर भी सतर्क रहता है.
  • मुहावरा--12.दूध सूं धोय नै दैणा--उधार का रुपया उपयोग के पश्चात्‌ ठीक समय पर बिना किसी रुकावट के लौटा देना.
  • मुहावरा--13.दूधां न्हावौ, पूतां फळौ--सौभाग्यशाली और सन्तानशाली बनो, आशीर्वाद.
  • मुहावरा--14.दूधां री वेरी--अधिक दूध देने वाली गाय, भैंस आदि.
  • मुहावरा--15.धौळौ दूध जांणणौ--पवित्र या शुद्धात्मा समझना, कपटी या धूर्त नहीं समझना।
2.अनाज के बीजों में अपरिपक्व अवस्था में होने वाला रस जो पकने पर कठोर रूप धारण कर लेता है।
  • मुहावरा--दूध पड़णौ--अनाज के बीजों में रस पड़ना।
3.अनेक प्रकार के पौधों की पत्तियों और डंठलों में होने वाला दूध के रंग का तरल पदार्थ जो उनको तोड़ने से बाहर निकलता है.
4.वशं, गोत्र (साधु फकीर).
5.देवी के लिये बलिदान किये जाने वाले बकरे का रक्त.
6.रक्त, खून।
  • मुहावरा--दूध पा'णौ--युद्ध--स्थल में पराजित घायल व्यक्तियों को तलवार के घाट उतारना।
रू.भे.
दुगध, दुद, दूद, दूधि।
अल्पा.
दूदड़लौ, दूददड़ियौ, दूदड़ौ, दूदियौ, दूदौ, दूद्यौ, दूधड़लौ, दूधड़ियौ, दूधड़ौ, दूधियौ, दूधौ, दोदौ, दोधौ। मह.--दूदड़।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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