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देह  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.
शरीर, तन (डिं.को.)।
  • उदा.--1..जाळ टळै मन क्रम गळै, निरमळ थावै देह। भाग हुवै तौ भागवत, सांभळजै स्रवणेह।--ह.र.
  • उदा.--2..नहीं तो नार पुरक्ख सनेह, नहीं तो दोरघ छुच्छम देह।--ह.र.
  • उदा.--3..बिमळ देह सिंघबाहणी, ओपै कळा अखंड। बडां--बडी चहुँ बिम्मळा, महि पताळ नव खंड।--खेतसी बारहठ
  • मुहावरा--1.देह छूटणी--मृत्यु होना, जीवन समाप्त होना.
  • मुहावरा--2.देह छोडणी--मर जाना।
रू.भे.
दिह, देही, देहु।
अल्पा.
देहड़ली, देहड़ी, देहली, देहुडी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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