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दोर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
देश.
1.एक प्रकार का आभूषण विशेष (व.स.) (सं.दोस)
2.हाथ, कर (ह.नां.)
3.शक्ति, बल।
  • उदा.--कळिया गाडा काढ़तौ, दे कांधौ बड दोर। हव धवळौ बूढ़ौ हुवौ, जगपत सूं की जोर।--बां.दा.
4.देखो 'दौर' (रू.भे)
  • उदा.--1..जोरा रा भड़ जस जोड़ास जेठी, दळ वधता जोरा रा दोर। जोरा रा तोरा जोरावर, जोरा रा रावत भी जोर।--जोरावसिंह ऊदावत रौ गीत
  • उदा.--2..पदमसिंहजी रणखेत में बैठा छै। इतरै में जादूराय आय माथै रै मांही तरवार री दीवी, सो माथौ फाड़ त्रिकुटी आंण बैठी। इतरै में महाराज बैठा ही लप झड़प मारी सो बागै रा दोर हाथ में आया, तींसूं मुंहडै आगै आंण पड़ियौ। जद आप अेक--दोय कटार मारी सो कांम सारौ सीझ गयौ।--पदमसिंह री वात
  • उदा.--3..जेळै कई बब्बर जोर। दिखावत वायु वरब्बर दोर। रथां पलटाय पछा प्रति राह। अछा झपटाय कहावत वाह।--मे.म.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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