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धणी-धोरी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.यौ.
सं.धनिक+धौरेय
1.मालिक और मुखिया, स्वामी और प्रधान।
  • उदा.--तूं मरण तेवड़ नै खंगार नूं मारै तौ पोहचां, नै थारा बेटा धणी--धोरी छै ईज, नै वळै घणा वधारीस।--नैणसी
  • उदा.--2..नीधणि आया मारिये, धणीधोरी कोइ। दादू सो क्यों मारिये, साहिब सिर पर होइ।--दादूबांणी
2.कर्त्ता--धर्त्ता।
  • उदा.--राव मांनसिंघ मूवौ तरै राव सुरतांण नै सारै रजपूते मिळ टीकै बैसांणियौ, देवड़ा विजा रौ घणौ कारण छै, विजौ राव सुरतांण कनै धणी--धोरी छै।--नैणसी


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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