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धनक  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
देश.
1.स्त्रियों के ओढ़ने का एक रंगीन वस्त्र.
2.एक प्रकार का पतला गोटा.(सं.धनुष)
3.हथेली में होने वाला धनुषाकार सामुद्रिक चिह्न विशेष।
  • उदा.--परचंड दंड हर गदा पांणि। बिहुवै अकार वणि धनक बांणि।
रू.भे.
धणक, धणख, धनख।
4.देखो 'धनुस' (रू.भे.)
  • उदा.--धू दिस रळिया राज अमीणौ घर जां सोवै। तोरण धनक समांण रूपाळी रंगत होवै। वाल्हौ रूंख मंदार सबखै फूलां भरियौ। ऊभौ जेथ अमोल मो धण--बाछळ हरियौ।--मेघ.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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