वि.
सं.
ग्रहण करने, रखने, थामने या संभालने की क्रिया, धारण। सं.पु.--
1.एक नाग का नाम। सं.स्त्री.(सं.धरणी)
2.नाभि के ठीक नीचे की वह नस जो अंगुली के दबाने से रह रह कर उछलती हुई सी मालूम पड़ती है।
5.देखो 'धारणा' (रू.भे.)
- उदा.--गोपाळौ सिवरांम रौ, साथै जोध सकज्जा। अै खीची ऊंची धरण, करण जतन कमधज्जा।--रा.रू.
6.देखो 'धरणी' (रू.भे.)
- उदा.--तणी वधावण नेत बंध धरण सोढां तणी, तरण चंद--वदण कज वरण ताबू। अमर कथ करण प्रथमाद सिर ऊमदा, परणवा पधारै राव पाबू।--गिरवरदांन सांदू