क्रि.स.
सं.धरणम्
1.रूप ग्रहण करना, धारण करना, आरोपित करना।
- उदा.--जिण दाहे वण हर धरइ, नदी खळक्कइ नीर। तिण दिन ठाकुर किम चलइ, धण किम बांधइ धीर।--ढो.मा.
2.व्यवहार के लिये हाथ में लेना, ग्रहण करना।
- उदा.--1..पहिलउं सरसति अरचिसु, रचिसु वसंत विलासु। वीणि धरइ करि दाहिणि वाहणि हंसलउ जासुं।--व.वि.
- उदा.--2..अवरु संखु धरइ रळियांमणउ। ध्वनि करी सिवपंथी सुहांमणउ।--जयसेखर सूरि
3.निश्चय करना, विचार ग्रहण करना।
- उदा.--करइ दाहु विदाहु हियइ धरइ। कहु कीचक हुइ मरत मरइ।--विराट पर्व
4.प्रतीत करना, महसूस करना।
- उदा.--1..इंद्र आउखउ आसनउं थाइ' कंठ तणी माळा कर माइ। धरइ कंप तै हिया मज्झरि 'पडि--सिउं दुक्ख तणइ भंडारि।--चिहुंगति चउपई
- उदा.--2..चिंतइ चतुर स चिंततउ, धरतउ अरति अपार।--नेमिनाथ फागु
5.बैठाना, ग्रहण करना।
- उदा.--आखई तौ पिता नहीं इैसर, पुणइ अनेरी तूझ परि। रमाडिउ न रंग भरि रांमा, धवराडियउ न गोद धरि।--महादेव पारवती री वेलि
6.स्मरण करना।
- उदा.--करुणनिध जन हितकारी रे, बांमै अंग सीत बिहारी। सारी ज्यां बात सुधारी रे, धरियौ उर धांनखंधारी।--र.ज.प्र.
- उदा.--2..नारदू पहुतउ सिख्या देवि पंडव बइठा ध्यांनु धरेवि। एकं पाइं दिणवर द्रेठि, होयडइ मंत्रु पंच परमेठि।--पं.पं.च.
7.पास में रखना, रक्षा में रखना।
- उदा.--सिर नासा कांन दसन आंखै, नख गाल वपुस ना मल नाखै। मिळणौ लेखौ करइ मंतरणौ, विहचण अपणौ करि धन धरणौ।--ध.व.ग्रं.
8.स्वीकार करना।
- उदा.--1..सखी भणइ 'सांमिणि हिव सुणउ एह दोस नवि कुणह तणउ, देविहिं कीधां छइ जे, कांम तेह मांजिवा धरइ कुण हांम।--विद्याविलास पवाडउ
- उदा.--2..चउसट्ठि गाह तणौ चौसणौ, धरमी जन नै मन में धरणौ। बीजौ आउर पच्चक्खांण, चउरासी माथा परिमांण।--ध.व.ग्रं.
9.चौकन्ना होना, ध्यान करना।
- उदा.--न दै साद काय नारियण, साद दियै जो संत। आपण नांम उलावतां, धेनु (ही) कांन धरंत।--ह.र.
10.संकल्प करना, दृढ़ निश्चय करना।
- उदा.--ऊपनुं केवळ नांण सांमीय ए, नेमि जिणेसरहं ए। सांभळी सांमि वखांणु विरता ए सावयव्रतु धरंइ ए।--पं.पं.च.
- उदा.--2..चारित्र भणीइ खडगह धारु, पुण्यवंत पालइं सविचारु। महाव्रत नउ न धरइं भार, बारव्रत नउ करउ अंगीकार।--चिहुंगति चउपई
11.शोभार्थ अथवा रक्षार्थ धारण करना, देह पर रखना, पहनना। ज्यूं--माथा माथै पोतियौ धरणौ।
- उदा.--गुरु ऊठाडई अरजुनु कुमरौ करणिहि सरिसउं माडइ वयरौ। बे भाथा बिहुं खवै वहेई करियळि विसमु धणुहु धरेई।--पं.पं.च.
12.स्थापित करना, स्थित करना, ठहराना।
- उदा.--धैधींगर कदम आवळा धरतौ, झड़ वरसात जेम मद झरतौ।--र.ज.प्र.
13.प्रकट करना, रखना।
- उदा.--बेटा रहिं इकु मांनइ जाग, माथइ फाड देई इकि मागइं भाग। बेटा पाखइ इक दोहिलउं धरइं, बेटे छते इकि वढ़ी दढ़ी मरइं।--चिंहुगति चउपई
14.संलग्न होना, तत्पर होना, कियाशील होना।
- उदा.--अनेकि परि जे पूजा करइं, मुगति जावा नी सजाई धरइं। रास भास सांमि गुण गायंति, पंचमगति निस्चइं पांमति।--चिहुंगति चउपई
16.वहन करना, उत्तरपायित्व लेना।
- उदा.--एक दिवस ते च्यारि नंदन, रमलि करंता रंगि। बापि बोलाव्या 'कहउ किम, मझ धरि भार धरेसिउ अंगि।--विद्याविलास पवाडउ
17.धारण करना, ग्रहण करना (गर्भ, हर्ष, शोक, उत्साह आदि)
- उदा.--1..बीजी मद्रकि मद्र धूय पंडु तणइ घर नारि। गभु धरीऊ गभु धरीऊ देवि गंधारि।--पं.पं.च.
- उदा.--2..कांमालय अट्ठमी तणी सांझइं संहट भणेवि। राजकुंअरि नीय घरि गई ऊलट अंगि धरेवि।--विद्याविलास पवाडउ
- उदा.--3..इसिउ जि मूरख जांणी तेउ। नयणि न जोइ नेह धरेउ।--विद्याविलास पवाडउ
- उदा.--4..राय आएसइं साहण समहर, सयल सुहड मेल्हेवि। भणी उजेणी दीधउं पीयांणउं, महितउ मांनि धरेवि।--विद्याविलास पवाडउ
- उदा.--5..उजेणी नयणी तणी वर नारी, ए रंग धरेवि ऊलट आवइं आपणि भणि मोति ए थाळ भरेवि।--विद्याविलास पवाडउ
18.गिरवी रखना, बंधक रखना.
19.किसी वस्तु को मजबूती से पकड़ना या जोर से स्पर्श करना जिससे वह इधर--उधर नहीं जा सके या हिल सके, थामना, पकड़ना।
- उदा.--1..केसि धरी नइ तांणीउं, दुसासणि दुरचारि। बाळप्पणि हुं नवि मूई, कांइ हुई तुम्ह नारि।--पं.पं.च.
- उदा.--2..हारीय ए द्रुपदह धीयं ऊदाळिय सवि आभरण ए। तांणीय ए केसि धरेवि देवि दुसासणि दूजणिहिं ए।--पं.पं.च.
- मुहावरा--धर दबाणौ या धर दबोचणौ--किसी पर इस प्रकार आ पड़ना कि वह विरोध या बचाव न कर सके, बलपूर्वक अधिकार में करना। वाद--विवाद में परास्त करना।
20.कहना, डींग मारना। ज्यूं--आ तौ गप्पां धरै है।
21.प्रहार करना, मारना। ज्यूं--एक इज मुक्कै री धरी, कै नीचौ पड़ियौ।
- उदा.--झूंटि धरी धूंबड घाइ ताडइ। आक्रंदती द्रूपदि बूंब पाडइ।--विराट पर्व
22.वश में करना, अधिकार में करना, काबू करना, रोकना।
- उदा.--मन देवता कुणहइं धरी न सकीइं, क्षणि जाइ सागरि, क्षणि जाइ आगरि।--व.स.