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धरती  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.धरित्री
1.पृथ्वी, भूमि, जमीन (डिं.को., ह.नां.)
  • उदा.--1..धरती म्हांरी म्हे धणी, ढाहण नेजां ढल्ल। किम कर पड़सी ठाकरां, ऊभा सीहां खल्ल।--अज्ञात
  • उदा.--2..आयौ इंगरेज मुलक रै ऊपर, आहंस लीधा खैचि उरा। धणियां मरे न दीधी धरती, धणियां ऊभां गई धरा।--बां.दा.
रू.भे.
धरत्ती। मह.--धरतौ, धरत्तौ।
  • मुहावरा--1.धरतियां लेणौ--मरणासन्न व्यक्ति को पलंग से उठा कर भूमि पर शयन कराना.
  • मुहावरा--2.धरती कुचरणी--तुच्छ या हल्का कार्य करने के कारण लज्जित होना, शर्मिन्दा होना.
  • मुहावरा--3.धरती लेणौ--देखो 'धरतियां लेणौ'.
  • मुहावरा--4.धरती हाथ टिकणा--पराजित होना, हार मानना.किसी महान कार्य में अत्यधिक वय होने के कारण निर्धन होना।
2.राज्य।
  • उदा.--1..राव मंडळीक गैहलौ हुवौ। तरै 'जैसौ' मंडळीक रौ लोहड़ौ भाई तिण सारौ धरती रौ भार संभायौ। धरती रा सारा राजपूत लेनै भाखरै पैठौ। धरती रौ विगाड़ घणौ करै छैं । गढ़ गिरनार मांहै पातसाह रौ बडौ थांणौ छै। धरती मांहै थांणा ठोड़--ठोड़ राखिया छै पण धरती भोग पड़ सकै नहीं।--नैणसी
  • उदा.--2..तिण ऊपरि कहाव मांडियौ रांमसिंघजी गाडा ऊंट कँवरजी कन्हा मंगाड़ी अर धरती मांह डोरौ 1 छोडियौ नहीं।--द.दा.
रू.भे.
धरत्री, धरिती, धरित्री, धरेती, धरैती, ध्रति, ध्रती, ध्रिति, ध्रिती।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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