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धीवर
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.मछली पकड़ने का कार्य करने वाली एक जाति या इस जाति का व्यक्ति, मल्लाह, केवट (डिं.को.)
उदा.--
1..सर कूंत आर--पार हुअै छै। बगतरां रा तवा फोड़--फोड़ पूठी परा अणीआळा अणी नीसरै छै। सु जांणां
धीवर
पूठै जाळ मांहै मछां मूंह काढ़िआ छै।--रा.सा.सं.
उदा.--
2..जळचर जीव वसइं जळ माहि, ते नवि छूटइ
धीवर
पाइ। थळचर नी कुण करिसइ सार, दवि दाझइं पुण ते सवि वार।--चिहुंगति चउपई
2.काला मनुष्य।
रू.भे.
धींवर, धीमर।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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