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धुंद, धुंध  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.धूम:+अंध
1.हवा में उड़ती हुई धूलि अथवा उससे होने वाला अंधेरा।
  • उदा.--1..इतरै लाभ बथूळौ आवै, कहर क्रोध डडूळ कहावै। छित पर कांम धुध नभ छावै, पात्र विवेक निजर नहिं पावै।--ऊ.का.
  • उदा.--2..धसम बिडंगां ऊधरां, रज छायौ ब्रहमंड। सेलह चमंका धूंध में, दीठा रांवण खंड।--रा.रू.
2.कुहरा।
  • उदा.--कुण माता कुण पिता, कमण त्रिय कुण कुण भाई। कमण पुत्र परवार, कमण सनमंध सगाई। धुंद वाव जग सकळ धुंध जग काची काया। धुंध मोह धुंध लोभ, धुंध ठगबाजी माया। क्रम अक्रम भ्रम अधरम कपट, अै नैड़ा मत आंण अंग। पढ़ नांम रिदै करता पुरस, जग एक अवगत्त जग।--जखि.
3.अज्ञान।
  • उदा.--धुंध मिट्‌या जब निरधुंध पाया, आतम रांम अरागी। कह सुखरांम मिटी सब त्रिसणा, अनुभव उगती जागी।--स्री सुखरांमजी महाराज
4.आंख का एक रोग.
5.देखो 'दुंद' (रू.भे.)
  • उदा.--धुंध हुअै सारी धरा, सहर दिली पड़ि सोर। मुहिम हुंता त्यां मंडिऔ, ज्यां सहिजादां जोर।--वचनिका
रू.भे.
धूंद, धूंध।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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