सं.पु.
सं.
1.कपूर, चंदन, अगर, गुग्गल आदि गंध द्रव्यों को मिला कर बनाया जाने वाला पदार्थ विशेष जिसको अंगारे पर रखने से महकयुक्त धूम निकलता है।
- उदा.--1..गिलका--सिला सिला--गोमत्ती, मंडावै संजम मूरत्ती। साळगरांम सिला सुध सेविस, अग्गर चंदण धूप उखेविस।--ह.र.
- उदा.--2..हुवै होम आसावरी धूप हूंमै। घणां सांघणां दीप सांमीप घूंमै।--मे.म.
- मुहावरा--1.धूप करणौ--देखो 'धूप खेवणौ'।
- मुहावरा--2.धूप खेवणौ--देव पूजन के लिए अंगारे पर सुगंधित पदार्थ रख कर धूमउठाना।
2.वह सुगंधित धूम जिसे देव पूजन के लिए अंगारे पर सुगंधित पदार्थ डाल कर उठाया जाता है।
3.सूर्य का प्रकाश, आतप, ताप।
- उदा.--तूं भरयु रे भाद्रवा, पूरण पंचइ रूप। क्षणु वरसइ क्षणु वाउलउ, क्षणु सीतळ क्षणु धूप।--मा.कां.प्र.
- मुहावरा--1.धूप खाणी--धूप में गर्म होना, तपना.
- मुहावरा--2.धूप खवाणी--धूप लगने देना, धूप में रखना.
- मुहावरा--3.धूप चढ़णी--(सूर्योदय के काफी समय बाद) धूप तेज हो जाना.
- मुहावरा--4.धूप दिखाणी--देखो 'धूप खवाणी'।
- मुहावरा--5.धूप दैणी--देखो 'धूप खवाणी'।
- मुहावरा--6.धूप निकळणी--धूप फैलना, प्रकाश फैलना.
- मुहावरा--7.धूप पड़णी--आतप बढ़ना, तेज धूप होना.
- मुहावरा--8.धूप में बाळ पकाणा--धूप में बाल सफेद करना, बुडढ़ा हो जाना, कुछ अनुभव न होना.
- मुहावरा--9.धूप लैणी--देखो 'धूप खाणी'।
4.तलवार, खड्ग।
- उदा.--1..धड़च्छत सीस तड़त्तड़ धूप। रुपै धड़कन्न महा भड़ रूप।--मे.म.
- उदा.--2..धुबै 'अजबेस' खळां झळ धूप। रिमां धड़ मांहि खमोभ्रम 'रूप'।
- उदा.--3..ठांम ठांम तोपां तणौ जाळ रै मोरचै ठहै, धूबै जेठ आदित्य मालदे वाळी धूप। हल्लै बांध चाल रै हवेली माथै हुवौ हाकौ, 'सुरतांण' रुपै महा काळ रै सरूप।--नींबाज ठा.सुरतांणसिंघ रौ गीत
पर्याय.--आतप, तावड़ौ, परकास।
सं.स्त्री.(सं.धूप=संतापे)