HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

धोरी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.धौरेय
1.बैल, वृषभ (डिं.को.)
  • उदा.--1..वचन सुणै तिण वार, तैं धोरी मांगण तणौ। नर कीधी नाकार, धूणे कांधौ धीरड़ै।--गो.रू.
  • उदा.--2..ज्यां रै धोरौ बेगड़ौ, ज्यां रा सींग बधंत। औ जूपै जिण रथ अकळ, सोही रण सोहंत।--बां.दा.
2.देखो 'धोरौ'(अल्पा., रू.भे.) वि.--
1.अगुआ, मुखिया, प्रधान।
  • उदा.--1..इंद नरिंद दिणिंद फुणिंद, नमाए हैं व्रिंद आणंद विधाता। धोरी धरम को धीर धरा धर, ध्यांन धरै 'धरमसी' गुण ध्याता।--ध.व.ग्रं.
  • उदा.--2..सच्चा बे साहिब तूं ध्रम धोरी, सिवपुर सुख दे मै कुं भोरी। समयसुंदर मन रंग रिखभ जी, आउ असाड़ा कोल।--स.कु.
यौ.
धणी--धोरी।
2.भार उठाने वाला।
रू.भे.
धोरिउ।
सं.स्त्री.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची