सं.पु.
सं.धोरणि: धोरणी
1.कोर, गोटे आदि की वह लंबी पट्टी या फीता जिसे शोभा के लिये स्त्रियों के पहनने के वस्त्रों पर लगाया जाता है।
- उदा.--1..ग्वाळा, बगसिया, रेसमी कांचळियां, मलमल रा धोतिया, धोरां वाळा फेटिया, चौथै फेरै री चूनड़ियां, हींगळू री कूंपियां, सुरमे री डिबियां अर न मालम कांई कांई चीजां ठेट तक मारग में बिखर्योड़ी पड़ी ही।--रातवासौ
- उदा.--2..करहा रै गोडा गूगरा, गळ नै गूगरमाळ। बाबेली ए जंवायां रै ढाल बंदूक। धोरा तौ लागा रज जांमकी।--लो.गी.
2.मार्ग, रास्ता, पंथ।
- उदा.--तजै मती तिरिया पितु, माता, छोडिन धोरौ छोटा। धोती छोडि बनै मति धूरत, लेकर घोट लंगोटा।--ऊ.का.
3.प्रवाह, लपट, लहर।
- उदा.--1..सुगंध रै धोरै जोबन मद चुवंतौ प्रेमातुर हुवंतौ सुखां नूं साथै ले चवड़ा रौ मारग टाळियौ।--र.हमीर
- उदा.--2..अतरां धोरां उड केसर सूंधां कुमकुमां।--बुधजी आसियौ
4.जीवन को प्रभावित करने वाली परिस्थिति, वातावरण।
- उदा.--1..हमै मयारांम नै जसां रंग राग मांणै छै, जकां नै इंद्र भी वखांणै छै। रंग--राग रौ धोरौ लागौ छै। विरह रौ झोलौ भागौ छै।--मयारांम दरजी री वात
- उदा.--2..राज विनां दिन रात, दुरंग जोधाणौ दोरौ। आप थकां ऊडतौ, धुबौ रंग--रागां धोरौ।--बुधजी आसियौ
- उदा.--3..त्रहकै तूर त्रमाळ, धोरां खंभायच धुबै।--पोहचावण पूंछाळ, जांन 'दलौ' चढ़ियौ जयी।--गो.रू.
5.पहाड़ी के आकार का (प्राय: पहाड़ियों से छोटा) बालू का ढेर, टीबा, भीटा, ढूह।
- उदा.--जंगळ जंगळ में जूंनी जणियांणी। धोळा धोरां री धूनीं धिणियांणी। खोटे टोटै नग कणियां बीखरगी। माहव मोटै दुख जाटणियां मरगी।--ऊ.का.
- मुहावरा--धोरा किण रा अहसांन राखै--टीबे किसके अहसान रखते हैं, चूंकि टीबे पर चढ़ते समय कठिनाई होती है किन्तु उत्तरा आसानी से जाता है अत: योग्य अथवा बड़े आदमी किसी का अहसान नहीं रखते हैं।
6.खेत की रक्षार्थ खेत के किनारों पर ऊँची उठाई हुई भूमि, रेत से बनाई हुई दीवार, मेढ़.
7.जल--प्रवाह रोकने का बांध.
8.खेत में क्यारियों तक पानी पहुँचाने की नाली।
- उदा.--नै एक मया आ छै जितरी हो सके मिनखां नूं खेती इमारत नूं खपावै, कारज चलावै, नेहर काटण में तळाव बांध मोरी राखणै, कुवा करणै में इतरी मदत धोरा बंधावण में करै।--नी.प्र.