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ध्रस्ट  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.द्वयष्ट
ताम्र, तांबा (अ.मा.) वि.(सं.धृष्ट)
1.लज्जा या संकोच न रखने वाला, निर्लज्जा, बेहया, बेशर्म, प्रगल्भ।
2.बार बार अपराध करते हुए व अपमान सहते हुए भी नायिका के साथ लगा रहने वाला नायक (साहित्य)
3.अनुचित साहस करने वाला, ढीठ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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