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ध्रित, ध्रिति
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.देखो 'धरती' (रू.भे.)
2.देखो 'ध्रति' (रू.भे.)
उदा.--
1..सत्य पुरुस की सीख स्रवण सुन, लपलप लपत लवारी। कांम क्रोध के कंद छेक कर,
ध्रिती
क्षमा नहिं धारी।--ऊ.का.
उदा.--
2..व्याहिृती गायत्री व्रिती, धारत नहीं धरम
ध्रिती
। स्रुती ओ स्म्रिती सरब, धूर में धसाता।--ऊ.का.
उदा.--
3..पंडव दळां अनेक प्रहारै, महाभारत कुरखेत मंझारै। धारै अणी सरीर करै ध्रित, महिपति अभिमुनि हाथळ हेभ्रित।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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