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नंद  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.गोकुल के गोपों के मुखिया, जिनके यहाँ श्रीकृष्ण का जन्म काल बीता था।
यौ.
नंद--नंद, नंद--नंदन।
2.मगध देश के राजाओं की उपाधि, जो विक्रम से 250 वर्ष पूर्व राज्य करते थे.
3.पुत्र, लड़का (डिं.को.)
  • उदा.--1..वसिस्ठ आय जेण वार, ग्यांन कीध धू--मती। दईव सेस तूझ नंद, भै न कोइ भूपती।--सू.प्र.
  • उदा.--2..नंद 'गुमांन' सदा निकळंकत, बाधै छत्रधरां इण वार। कर आचार ऊजळौ कीधौ, इळ 'गजबंध' तणौ आचार।--बां.दा.
4.आनन्द, हर्ष.
5.सच्चिदानंद, परमेश्वर.
6.विष्णु.
7.एक नाग का नाम.
8.धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम.
9.आदि गुरु त्रिकल (ढगण के एक भेद का नाम ऽ।) (पिंगळ)
10.एक प्रकार का मृदंग.
11.एक राग का नाम, जिसे मालकौंस का पुत्र मानते हैं.
12.ग्यारह अंगुल लंबी बांसुरियों का एक भेद विशेष.
13.नौ निधियों में से एक निधि का नाम.
14.देखो 'नंदन'।
अल्पा.
नंदौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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