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नख  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
उंगलियों के छोर पर चिपटे किनारे या नोंक की तरह निकली हुई कड़ी वस्तु, नाखून।
  • उदा.--नख हरणंख उधेड़ि नांखियौ, असुरां रिपि जुग--जुग अलख।--ह.ना.
यौ.
नख--क्षत, नख--घात, नख--शिख, नखा--घात, नखा--युद्ध।
  • मुहावरा--1.नख आणा--अयोग्य को पद या अधिकार मिलना।
  • मुहावरा--2.नख दैणा--गरीब को हानि पहुँचाना।
2.किसी न्याति के अन्तर्गत पूर्व न्याति के वंश का सूचक शब्द। जैसे--दर्जी, माली आदि न्यातियों में भाटी, राठौड़, सांखला प्रभृति नख पुकारे जाते हैं। वि.वि.--राजपूतों और ब्राह्मणों में नख नहीं होते हैं।
3.सीप या घोंघे आदि के मुखावरण का गन्धद्रव्य। यह नखाकार होता है। छोटा--बड़ा और कई रंगों का होता है, जलने पर दुर्गन्धि किन्तु तैलादि में सुगन्धि देता है। यह औषधियों में भी काम आता है। (अमरत)
4.बीस की संख्या*(डिं.को.)
5.लाल वर्ण (डिं.को.)
6.नखक्षत।
  • उदा.--नख इंण भांत उगड़िया छै जांणै कनक मांहै मांणक जड़िया छै।--पनां वीरमदे री वात
7.देखो 'नक्षत्र' (रू.भे.)
  • उदा.--सुज भाई काका समेत छजिया छत्रपत्ति। पुन्यम चंद्र प्रकासिया नख जांण नखत्ती।--बिन्हैरासौ
रू.भे.
नह।
अल्पा.
नखळियौ, नखल्यौ।
पर्याय.--करज, करसूक, नखर, पलबसुव, पुनरनव, पुनरभव, भुजाकंठ, मारांकुस और विखदाती।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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