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नगद
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
अ.नकद
1.तैयार रुपया, रुपया पैसा, सिक्कों के रूप में धन। वि.--
1.जो तैयार हो (रुपया), (धन) जो तुरंत काम में लाया जा सके।
मुहावरा--
नगद नांणा नै बीद परणीजै कांणा--पैसों से सभी कार्य संभव है।
2.खास।
मुहावरा--
नगद जंवाई होवणौ--
1.खास होना.
2.उसके ऊपर का होना।
रू.भे.
नकद।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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