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नरपत, नरपति, नरपती, नरपत्त, नरपत्ति, नरपत्ती  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.नरपति
1.राजा, नृपति, नृप।
  • उदा.--1..नरपत आसथांन अनड़ां नड़, धुर तिण पाट प्रकासै धूहड़।--रा.रू.
  • उदा.--2..पोस महासुख पेखतां, स्री नरपति 'अभसाह'। आयौ रस लाइक अवनि, मंगळदायक माह।--रा.रू.
  • उदा.--3..ज्यौं मछी जळ मांहि, तरछी तरकावै। नरपति छटा निहारि, हियै अति हरखावै।--सिवबक्स बारहठ
  • उदा.--4..स्रम थोड़ै बोह नफौ सांपजै, बीसर मती अनोखी बात। रहै प्रसन्न ऐ आयत रीधै, छात सिंधा नरपतियां छात।--बां.दा.
  • उदा.--5..रैणा आया राठवड़, थापै रांण तखत्त। दोळा त्रीस हजार दळ, अकळ 'अजौ' नरपत्त।--रा.रू.
  • उदा.--6..साह दिलासा मोकळै, अब क्यूं राखी दूर। नरपत्ती 'जसराज' रौ, लावौ पुत्र हजूर।--रा.रू.
रू.भे.
न्रपत, नरवइ, नरवय, नरांपत, नरांपति, नरांपती, नरांपत्त।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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