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नागर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
14.सभ्य, शिष्ट और चतुर व्यक्ति।
  • उदा.--1..महाबळ सागर मेह मुदार, उजागर नागर नेह उदार।--ऊ.का.
  • उदा.--2..अज भेक उजागर नर खर नागर। गुण सागर गूजंदा है।--ऊ.का.
2.स्वामी, मालिक।
  • उदा.--गौतम सुता तास सुत नागर, धीरज सुचितां व्यावै। प्रभु वैमुख जिण रौ रिपु प्रांणी, ताह न कदै सतावै।--र.रू.
3.ईश्वर, प्रभु।
  • उदा.--चिंता हर नागर चिंता नह चीन्ही, करुणा--सागर भी करुणा नह कीन्ही।--ऊ.का.
4.नगर में रहने वाला मनुष्य।
5.नागरमोथा।
6.सोंठ (अ.मा., डिं.को.)
7.गुजरात में रहने वाले ब्राह्मणों की एक जाति (रा.रू.) सं.स्त्री.--
8.पनिहारी।
  • उदा.--बेरा बैरागर सागर सम सोभा। रीती गागर ले नागर तिय रोभा। धावै द्रग धारा दारा मुख धोवै। जीवन संजीवन जीवन धन जोवै।--ऊ.का.
9.देखो 'नागरी' (रू.भे.) वि.--
1.सतुर, निपुण, पटु (डिं.को.)
  • उदा.--1..धवळ हरे धवळ दियै जस धवळित, धण नागर देखै सघण। सकुसळ सबळ सदळ सिरि सांभळ, पुहप बूंद लागी पड़ण।--वेलि.
  • उदा.--2..ऊंडै जळ में ले चल्यौ, गजकूं विकटौ ग्राह। तब ततकार संमारियौ, राधा नागर नाह।--गजउद्धार
2.नगर में रहने वाला.
3.नगर सम्बन्धी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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