HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

नागी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.नग्ना
1.जिसके शरीर पर कोई वस्त्र न हो, वस्त्रहीना, नग्ना।
  • उदा.--इसी म्हारी लंबी सीरख कोयनी, थे जांणौ ई हौ। आगै जाय'र मनै मिळै तौ खाली पंदरै रुपट्टी ही है। नागी क्या धोवै क्या निचोवै?--वरसगांठ
2.कुलटा, व्यभिचारिणी।
  • उदा.--हंसियौ जग आसक हुए, वसियौ खोवण वीत। रसियौ नागी रांड सूं, फसियौ होण फजीत।--बां.दा.
3.बिना शर्म वाली, निर्लज्जा।
  • उदा.--च्यारूं खांण चतुर लख जाती, भूख सबन के लागी। देवत दांनव मांनव मोनी, कोइयन छोड्‌या इण नागी।--स्त्री सुखरांमजी महाराज
4.जिस पर किसी प्रकार का आवरण न हो, निरावरणा। ज्यूं--नागी तरवार।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची