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नाट  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
देशज
1.निषेधसूचक शब्द, नहीं, इन्कार।
  • उदा.--फेलै फिरंगांण करारी फौजां, आफळती भारी अवियाट। धारी 'मांन' भुजा छत्रधारी, राजां री सारी रजवाट। जिण रौ जग साखी जोधपुरौ, नह दाखी करवा जुध नाट। खत्रियां री आखी खेडेचा, खवां भली राखी खत्रवाट।--नाथूरांम लाळस
  • मुहावरा--नाट मारणी, नाट वाळणी--इन्कार करना, मना करना। किसी बात पर अड़ कर बैठ जाना।
2.नृत्य, नाच।
  • उदा.--नाट चिरत फिरता रिख नारिद, गिरिंद तणइ प्राहुणा गया। चलणे ऊठि लागा हेमाचळ, मंन सूधे जांणी घणी मया।--महादेव पारवती री वेलि
3.दीपक राग मतान्तर से मेघ राग का पुत्र, एक राग जिसमें वीर रस गाया जाता है।
4.देखो 'नट' (रू.भे.)
  • उदा.--1..विकल थयु इम विलखतु, बहितु ऊवट वाट। कइ राउलि? कइ रन्नि छउं? निरति न जांणइ नाट।--मा.कां.प्र.
  • उदा.--2..चोर चरड नइ चाडीया, गांठी छोडा गाहाट। वाटपाडा नइ फांसिया, नाडीत्रोडा नाट।--मा.कां.प्र.
(सं.)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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