सं.स्त्री.
सं.नाभि
1.जरायुज प्राणियों के पेट के बीच का वह गड्ढ़ा वा चिह्न जहां गर्भावस्था में जरायुज नाल जुड़ा रहता है, तुंदी।
- उदा.--1..कसतूरी नाभि निसंधि निकेवळ, उडियण जाइ लागा आकासूं। भ्रिग तेथि थकत हुया मन मांहै, वाजइ पवन तणा सुर वास।--महादेव पारवती री वेलि
- उदा.--2..बेल कियौ बिसतार मनोभव बागवां। ईखे नाभि-निवांण उपाई अनुभवां।--बां.दा.
2.पहिये का मध्य भाग, चक्रमध्य। वि.वि.--बैलगाड़ी के पहिये के मध्य यह बड़ा सा उभरा हुआ होता है। इसके बीच में एक धातु का गोल घेरा और फंसाया जाता है जिसे 'नायौ' कहते हैं। इसी के बीच में धुरी रहती है।--डिं.को.
4.जैनियों के आदि तीर्थंकर ऋषभदेव के पिता का नाम। भागवत के अनुसार ये आग्नीध्र राजा के पुत्र थे।
रू.भे.
ना', नाभी, नाह, नाहि, नाही, नाहु। मह.--नाभ।