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नाराज  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
फ़ा.ना+अ.राज़
अप्रसन्न, नाखुश, खफा। सं.स्त्री.(सं.नाराच)
1.तलवार (डिं.को.)।
  • उदा.--1..किसन घड़ा खग झाड़ि करि, धारां धोपट्टी। नाराजां वग्गौ निंहाव, उस्सीस अघट्टी।
  • उदा.--2..ग्रहि छळ 'अरजण' गौड़, परठि मनवार अपारां। नजर टाळि न राज, वहै घट हुवौ विहारां।--सू.प्र.
  • उदा.--3..फुंकार अहेस, हरी चंदणा पयोध फैण, माहेस त्रिनैण इंद्र जुन्हाई समाथ। गिरवांणां सहाई मनोज धेनु ग्यांन गोभा, नाराज, वरीस, सोभा इसी प्रथीनाथ।--र.रू.
2.भाला।
3.देखो 'नाराच' (रू.भे.)
रू.भे.
नराज, नाराजक, नाराजी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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