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नारौ
(
स्त्रीलिंग
--नारी)
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.देखो 'ना'रौ (रू.भे.)
2.देखो 'ना'री' (मह., रू.भे.)
उदा.--
1..संख राजा नै यसोमती रांणी, जिण साधां नै वैरायौ दाखां रौ पांणी, हुवा 'नेम कवर, राजुल'
नारौ
, सुध दांन थकी खेवौ पारौ।--जयवांणी
उदा.--
2..जो थांरा मन मैं आ हुती रे हूं नहीं परणूं
नारौ
रे तौ इसड़ी जांन जळस सूं रे, मो नै नहीं लावण था लारौ रे।--जयवांणी
3.देखो 'न्यारौ' (रू.भे.)
उदा.--
तठै उवै
नारौ
कुंवर तीन्ह चाकर राख आयौ हंतौ तिका हुनर सीखिया।----चौबोली (स्त्री नारी)
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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