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निकट  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
क्रि.वि.
सं.
नजदीक, पास, समीप (अ.मा.)
  • उदा.--1..जोग नींद बस भये निरंजन। गज्जो असुर पितामह गंजन। आक्रति विकट निकट चलि आये। काढ़ि दसन विधि ग्रसन धिकाये।--मे.म.
  • उदा.--2..पतित न्या व्है पीतपट, दिपै निकट रिखदेव। नचे मुगत नटनार ज्यूं, स्री गंगा तट सेव।--बां.दा.
  • उदा.--3..इम गढ़ निकट विकट थट आया। छपन कोड़ि जांणै घण छाया।--सू.प्र.
1.जो दूर न हो, समीप का, पास का।
2.रिश्ते में जिससे खास अन्तर न हो।
रू.भे.
नइडउ, नियड़उ, निकटी, निकट्ट, नीड़, नीड़ै, नीड, नीडै, नरेउ।
अल्पा.
नइड़ौ, नइडौ, नईडौ, नयड़ौ, नयडौ, नीड़ौ, नीडौ।
वि.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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