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निजर
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'नजर' (रू.भे.)
उदा.--
1..ताहरां खवास रौ
निजर
टाळ पसवाड़ै भळकौ पड़ियौ हुंतौ, तै सूं उकास नै डोळौ रुमाल में घाल दीन्हौ।--नैणसी
उदा.--
2..भीड़ खुरसांण रांण दळ भागा, समहर असर भांजिया सार। उभै दळां
निजर
जद आयौ, अस नीलौ कमंध असवार।--बां.दा.
उदा.--
3..वन्ना म्हे थांनै फूटरमल्ल ओ यूं कैयौ। वन्नजी झटकै नै सरवरिये मत जाय, पिणियार्यां री
निजर
लागणी।--लो.गी.
उदा.--
4..गाहट हरवळ गोळ, चोळ चंदवळ करि चुखचुख।
निजर
चोळ धज नहर, मसत चख-चोळ चोळ-मुख।--सू.प्र.
उदा.--
5..कीधी निछरावळ
निजर
, मिझमांनी मनुहार। दरसण कीधौ सांम रौ, 'दुरगै' मोती वार।--रा.रू.
उदा.--
6..कर जोड़े अरजां सुज करसी। धणी जेम
निजरां
द्रब धरसी।--सू.प्र.
उदा.--
7..लहि फतै भड़ां
निजरां
लियै, सझि नौबति नंद तिण समै। ऊगतौ भांण बाळक 'अभौ', राय-आंगण इण विध रमै।--सू.प्र.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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