अव्यय
सं.नित्य
1.सदा, सर्वदा, हमेशा।
- उदा.--1..सोक री दस नित मिटावण सेवगां, गुण घणा थोक री ब्रवण गाडां। चाड त्रहुं लोक री निसुंभ सुंभ बाघ चड, डोकरी गहै खळ बिकट डाडां।--खेतसी बारहठ
- उदा.--2..जब लग 'पातल' खग्ग झल, स्रिर कंधर उससंत। तो लौ पत दिल्ली तखत, चित नित रहौ निचिंत।--जैतदांन बारहठ
2.प्रतिदिन, रोज। ज्यूं--थे नित ओ कांई धंधौ छेड़ दौ? सं.पु.--
रू.भे.
नत, नत्त, निच्च, निच्चु, नित, निति, नितु, नित्त, नीत।