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नितंब  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.नितम्ब:
1.स्त्रियों के शरीर के पीछे की ओर कटि से कुछ नीचे का उभरा हुआ भाग, कटिपश्चाद्भाग, चूतड़।
  • उदा.--1..हुवइ घटि नदी हेम हेमाळै, विमळ स्रिंग लागा वधण। जोवनागमि कटि किस थायै जिम, थायै थूळ नितंब थण।--वेलि.
  • उदा.--2..बांमा भार नितंब तिलंगी बारियां। नहीं इसी अंग बासक सिंहलनारियां।--बां.दा.
  • उदा.--3..माता पिता के आगै खेलतां कांम रा जु विरांम छै, सु छिपाया चाहिजै। सु कांम रा विरांम कुण। जु एक तउ कुच प्रकट हुया। नेत्रां चंचळता हुई। नितंब भारी दीसै लागा। ए कांम का विरांम।--वेलि.टी.
2.पहाड़ के बीच का भाग (डिं.को.)
3.कन्धा। वि.--
1.बड़ा* (डिं.को.)
2.अति तीक्ष्ण* (डिं.को.)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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