सं.पु.
सं.निम्नांग
1.वृक्ष, पेड़ (अ.मा., नां.मा.)
2.डिंगल साहित्य में एक साहित्यिक दोष जो प्राय: डिंगल गीतों में क्रम-भग वर्णन पर माना जाता है।
- उदा.--रुळै उकत रौ रूप, अध सौ नांम उचारै। कहै वळै छवकाळ, विरुध भासा विसतारै। हीण दोस सो हुवै, जात पित मुदौ न जाहर। निनंग जेण नै निरख, विकळ वरणण बिन ठाहर।--र.रू.